बुधवार, 26 अगस्त 2009

मेरा घर


मेरा घर
बड़े अरमान से घर
हमने बनाया था कभी
पर
आज वहा रहने का वहाँ वक़्त कहाँ
जिनपे हक हुकूमत
और अपनापन
वहाँ सौगात का है वक़्त कहाँ
बड़े जतन से जिसे
एक एक ईंट चुना
आज उनके लिए यहाँ वहां,
सब कुछ बचा न बचा
जब
हम वतन ही कहाँ .

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